मनुष्य और सर्प में अन्तर!

सर्प और मनुष्य में
कहो कवि क्या है अन्तर?
ज्यादा कुछ नहीं
याद रखो ये मंतर
सांप को पालना आसान है
इन्सान को पालना कठिन
सांप की होती है एक पूंछ
जिसपर पैर रखने पर
वह काटता है
इन्सान की होती हैं
न जाने कितनी पूछें
जिन्हें वह अपनी अहम की
साखों के साथ बांटता है
कितनी भी कोशिश कर लो
ये बैर बढ़ेगा ही
कभी न कभी कोई
सांप की पूंछ पर चढ़ेगा ही!
शंकर गले में सांप लटकाए
मानव को क्या पाठ पढ़ा रहे हैं
कुछ नहीं
महादेव केवल हमें चिढ़ा रहे हैं
तुम भी अपने अंदर
मुझ जैसा एकांत जगा लो
मानव को गले लगाने से
अच्छा है
सांप को लगा लो!

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