मेरे अविश्वास और अनास्था के प्रश्न पर!

जब कि तुम मेरी अवधारणा को अपना लेते हो; मुझे अपनाओ या न अपनाओ कोई फर्क नहीं पड़ता।

तुम मेरे अतिरिक्त
जिसकी भी पूजा
करते हो:
गणेश, महेश, सुरेश
गांधी, गौतम, जीसस
अल्लाह, नानक
कोई भी हो
कभी सोचा है कि
इन सभी नामों से
तुम जिसे मदद के लिए
पुकारते हो
वह वास्तव में कौन है?
क्या तुम्हारा दर्द
मुझे तकलीफ नहीं पहुंचाता
या मुझे कोई
दुख दर्द नहीं है
भाई
आरंभ काल में
मैंने ही नियम बनाए
तबसे अबतक
कितनी बार
समझने वाले बदले
समझाने वाले भी
नियमों से
सारी सृष्टि
बंधी हुई है
और मैं भी
अगर तुम्हें यकीन हो
इस एक परम सूक्ष्म क्षण
के जीवन में,
इस कर्म और भाग्य की चक्की में
कई बार पिसा हूं
कई बार पिसूगा
क्योंकि जब भी कोई
सदोश या निर्दोष
इस चक्की में पिसता है
तो वह मैं ही होता हूं
विशुद्ध रूप से
पिसते हुए भी
सारे नर्कों की
असह्य पीड़ा झेलते हुए भी
मैं उफ्फ नहीं कर सकता
बददुआ नहीं दे सकता
भौंहें नहीं हिला सकता
मैं विवश हूं
जब मेरी भौंहें हिलती हैं
तो निलय होता है
इस लिए
यह तो ऐसे ही
बोल उठा था
यह जो कुछ मैंने कहा है
चक्के का यह अंतिम काल
तुम्हें नहीं समझने देगा
यह इस समय के लिए है भी नहीं
पर मेरे लिए सच है
जो सचमुच मेरे पीछे आता है
मैं इतनी बार उसका पीछा करता हूं
कि पता ही नहीं चलता
कौन किसका पीछा कर रहा है इसे तो तुम नहीं मानोगे
मैंने तुममें से हर एक को
अपने बराबर ही शक्ति दी है
अणु भर भी कम नहीं
अतः जब तुम
मुझे कोसते हो
तो अपने आप को ही
कोसते हो
यदि मैं नहीं हूं
तब पर भी मैं हूं
जिस प्रकार
अपने जैसे
बस तुम ही हो
मेरे जैसा
एकमात्र मैं ही हूं
मेरा कोई विकल्प नहीं है
मैं निर्विकल्प हूं...

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